शून्य


 जय शंकर ❤️


जिस मैं को जी रहा तू 

उसका कोई मोल नही 

अनमोल जिसे तू कभी न समझे 

उस शून्य का कोई तोल नही 


अहम् से निर्मित इस झूट का 

जब समझेगा सत्य तू 

एक शून्य ही मिले राहगीर

रह जाएगा अव्यक्त तू 


अव्यक्तता की यह कहानी 

शून्य से आरंभित है 

व्यर्थ अहंम से निर्मित तेरी 

बुद्धी यहाँ स्तंभित है 


स्तंभित होना बुद्धी का यह 

जागृति का संकेत हैं

बुद्धी का होके भी न होना 

यही सत्य अभिप्रेत है 


❤️❤️❤️

😊😊😊

आजचा दिवस शून्याचा 😊


शून्य में शून्य समाये 

शून्य जब शून्य से मिले 

शून्य से शून्य घटाए तो 

शून्य से शून्य ही खिले 

❤️❤️❤️

शून्य निराकार है 

शून्य से ही आकार है 

शून्य अपने आप में ही 

शून्यका साक्षात्कार है


शून्य भीतर 

शून्य बाहर 

शून्य ही समाविष्ट है 

शून्य ब्रह्मांड से 

शून्य कण कण से 

शून्य ही विशिष्ट है


शून्य की कोई सीमा नहीं

शून्य अपरिमित है 

चराचर सृष्टि में गर्भित 

शून्य का ही गीत है


शून्य से आरम्भ होता 

शून्य में ही अंत है 

कोलाहल नही है शून्य का 

शून्य अतीव शांत है


शून्य को समझने हेतु 

शून्य होना चाहिये

ग़र समझे शून्य को तो 

शून्य को ही पायीए

❤️❤️❤️

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